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मुंबई पोर्ट दीर्ध अवधि से भारत का मुख्य प्रवेश द्वार रहा है और उसने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, व्यापार & वाणिज्य और विशेष रूप से मुंबई शहर की समृध्दि में विशेष भूमिका अदा की है. समुद्री व्यापार की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करने के निरंतर प्रयासों के जरिये पोर्ट ने यह स्थान प्राप्त किया है. यद्यपि पारंपारिक तौर पर यह पोर्ट वर्षों से सामान्य पोत भार की सम्हलाई की दृष्टि से बनाया गया है,विगत वर्षो में पोर्ट ने बदलते नौवहन झुकाव/पध्दतियों के अनुरूप अपने आपको ढाल लिया है और ब्रेक बल्क पोतभार पॅकेजिंग से यूनिटायझेशन, पॅलेटायझेशन और कंटेनरायझेशन आरंभ किया है. |
इसके अलावा पोर्ट ने पीओएल और रसायनों की सम्हलाई के लिए विशेष घाट विकसित किये गये है. दशकों से मुंबई पोर्ट भारत का अग्रणी पोर्ट रहा है. आज भी अन्य पोर्टों के विकास के चलते यह मात्रा की दृष्टि से देश के प्रमुख पत्तनों द्वारा सम्हलाई किये जाने वाले समुद्री व्यापार के 10% की सम्हलाई कर रहा है. यह प्रमुख पत्तनों द्वारा सम्हाले गए पीओएल व्यापार का लगभग 19 % की सम्हलाई कर रहा है. अपने प्रदीर्घ इतिहास में पोर्ट ने समुद्री व्यापार के मौसमी और कई परिवर्तनों में भी अपना अस्तित्व कायम रखा है और आज निकटवर्ती पोर्टों और निजी पोर्टों की प्रतिद्वंद्विता, बदलती यातायात पध्दतियाँ, प्राकृतिक प्रत्यक्ष बाधाएं और श्रमिकों पर निर्भर प्रचालन आदि जैसी चुनौतियां का सामना कर रहा हैं.तथापि व्यापार को किफायती और उच्च दर्जे की सेवाएं प्रदान करने के लिए पोर्ट ने कई विभिन्न उपाय किए हैं. |