टाईडस् ऑफ टाइम, मुंबई पोर्ट के इतिहास का खण्ड एक छोटे से मछुवारों के गाँव से एक द्वीपीय शहर और अंततः व्यापार और वाणिज्य का फलता-फूलता प्रमुख केन्द्र में इस बंदरगाह शहर की वृद्धि और विकास दर्शाता है. पोर्ट के विकास ने शहर और आसपास के क्षेत्र की प्रगति में जबरदस्त भूमिका निभायी है. शीघ्र ही जहाज बनाने का कार्य पनपने लगा और माहिर निर्माता -वाड़िया द्वारा बनाये गये जहाज विश्वभर में चलने लगे.
पोर्ट विकास के, उत्थान और पतन में उसकी स्वयं की हिस्सेदारी थी. युध्द, अकाल, महामार(प्लेग), मंदी, हड़ताल और गोदी में हुआ भयंकर विस्फोट ऐसे ही कुछ पिछड़ने के कारण थे. पोर्ट ने उन सभी को मात दी और अचंभे की तरह उभरा और क्रमिक विकास और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के जरिए विशाल ऊँचाइयों और समृद्धि की तरफ अग्रसर हुआ.
पुस्तक में राष्ट्रीय आंदोलन के स्तर पर गोदी मजदूर संघीकरण पर बल दिया गया है, जो मजबूत होकर और आखिर में प्रशासन-मजदूर संबंधो में सौहार्द लाया.
पुस्तक में पोर्ट के विकास में मील के पत्थरों संबंधी जानकारी दी गई है और उसके लंबे इतिहास की अब तक अंजान रहे ज्ञान की गहरी तथा आकर्षक जानकारी मुहैया की है.